आयकर अधिनियम धारा 43B में संशोधन के तहत, FY 2023-2024 से स्मॉल और माइक्रो इंटरप्राइजेज (MSME) को समय पर भुगतान करने का नया नियम लागू हो चूका है। यदि आपने MSME सप्लायर से माल खरीदा है या सर्विसेज ली है, तो इस नियम के तहत आपको उनके साथ पेमेंट एग्रीमेंट करने का प्लान अनिवार्य रूप से करना होगा।
आयकर अधिनियम की धारा 43B में MSME के भुगतान का समय
स्माल एवं माइक्रो इंटरप्राइजेज (MSME) को समय पर भुगतान करने को बढ़ावा देने के लिए, बजट 2023 में केंद्र सरकार ने आयकर अधिनियम की धारा 43B के दायरे में स्माल एवं माइक्रो इंटरप्राइजेज (MSME) को किए गए भुगतान को शामिल किया गया है।
भुगतान एग्रीमेंट और समय सीमा: MSME के लिए
इस प्रावधान के अनुसार यदि आपने किसी ऐसे सप्लायर से माल ख़रीदा है या सर्विसेज ली है जो MSME है और आपके और उसके बीच में पेमेंट को लेकर कोई अग्रीमेंट है तो आपको उसका पेमेंट एग्रीमेंट में दिए गए समय पर करना है और अगर वो समय सीमा 45 दिनों से ज्यादा है तो आपको ज्यादा से ज्यादा 45 दिनों में करना है। एग्रीमेंट की समय सीमा 45 दिनों से कम हो सकती है लकिन ज्यादा नहीं हो सकती।
पेमेंट की अनिवार्यता: MSME विक्रेताओं के साथ समझौते
यदि आपका आपके सप्लायर से कोई एग्रीमेंट नहीं हुआ है तो आपको उसका पेमेंट 15 दिनों के भीतर करना है। इसको आसान भाषा में ऐसे समझा जा सकता है की आपकी 31 मार्च 2024 की बैलेंस शीट में जो Sundry Creditors आ रहे है और यदि वो 15 February से ज्यादा पुराने है तो वो आपकी 2023-2024 की इनकम में जुड़ जायेंगे और आपको उस पर टैक्स देना होगा और यदि वो 15 February के बाद वाले Creditors है तो भी आपको उनका पेमेंट 15 दिन या 45 दिन के हिसाब से ही करना है। आपका CA आपकी अगले साल यानि की 2024-2025 की बैंक स्टेटमेंट में चेक करेगा की उनका पेमेंट हुआ है या नहीं ।
पेमेंट डेडलाइन: 15 दिन और 45 दिन के बीच का अंतर
MSME Act के अनुसार आपको अपने सभी सप्लायर जो MSME में पंजीकृत है का पेमेंट 15 दिनों में करना है। यदि आपका आपके सप्लायर के साथ कोई लिखित एग्रीमेंट है तो उस स्थिति में आप एग्रीमेंट के अनुसार पेमेंट कर सकते है लकिन वो एग्रीमेंट 45 दिनों से ज्यादा का नहीं हो सकता। यदि वो एग्रीमेंट 45 दिनों से ज्यादा का है तो आपको उसका पेमेंट 45 दिनों के भीतर ही करना पड़ेगा। एग्रीमेंट की समय सीमा 45 दिनों से कम हो सकती है लकिन ज्यादा नहीं हो सकती।
डेक्लेयरेशन का महत्व: सप्लायरों से MSME स्थिति की स्पष्टता
इसके लिए आपको अपने सभी सप्लायर से Declaration लेनी पड़ेगी की वो स्माल एवं माइक्रो इंटरप्राइजेज है या नहीं। यदि ऑडिट के समय आपके पास Declaration नहीं हुई तो आपका CA आपके उन सभी Creditors को स्माल एवं माइक्रो इंटरप्राइजेज (MSME) मानेगे जिनकी आपके पास Declaration नहीं है। जो सप्लायर आपको Declaration में ये देता है की वो MSME नहीं है तो आप उसका पेमेंट 15 दिन या 45 दिन के हिसाब से करने के लिए वाध्य नहीं है।
ऑडिट और सुनिश्चितता: आपके सप्लायरों की MSME पहचान
जो भी Creditors का पेमेंट 15 या 45 दिनों से ज्यादा Outstanding होगा आपकी 31/03/2024 की बैलेंस शीट में, तो उस स्थिति में ऑडिट के समय आपका CA आपके सभी Outstanding Creditors की आपसे declaration मांगेगे। जिनकी declaration नहीं होगी वो उनको MSME में पंजीकृत मानते हुए देखेंगे और यदि उनका पेमेंट 15 या 45 दिनों से ज्यादा Outstanding होगा तो वो उसको आपकी इनकम में जोड़ देंगे और आपको उस पर टैक्स देना होगा।
कौन आता है MSME की परिभाषा में: ट्रेडर्स की शामिलता
कुछ लोगो को ये भी Confusion है की स्माल एवं माइक्रो इंटरप्राइजेज (MSME) की परिभाषा में मैन्युफैक्चरर और सर्विस प्रोवाइडर के साथ साथ ट्रेडर्स भी आते है। जबकि ऐसा नहीं है। सरकार ने 01 सितम्बर 2021 को एक ऑफिस मेमोरेंडम जारी किया था जिसके तहत ट्रेडर्स MSME में रजिस्ट्रेशन तो करवा सकते है लकिन ट्रेडर्स को MSME एक्ट का लाभ Priority Sector Lending तक ही सीमित होगा और उनको Delayed Payment as per MSMED Act, 2006 का लाभ नहीं मिलेगा। इसलिए 43B के प्रावधानों में ट्रेडर्स शामिल नहीं होंगे। यदि आप एक ट्रेडर है और आपका MSME में रजिस्ट्रेशन मैन्युफैक्चरर या सर्विस प्रोवाइडर की केटेगरी में हुआ है तो आप उसको अमेंड करवा सकते है।
MSME Declaration – डिक्लेरेशन देते समय ध्यान दे
यदि आप किसी को Declaration दे तो आप सोच समझ कर दे। आपकी केटेगरी आपके MSME के सर्टिफिकेट पर लिखी होती है । यदि उस पर Small या Micro लिखा है तो आप अपनी Declaration में बतायेगे की आपकी फर्म MSME के दायरे में आती है और धारा 43B(h) के प्रावधान आपके ऊपर लागु होते है । और यदि MSME के सर्टिफिकेट पर Medium लिखा है तो आप बतायेगे की आपकी फर्म MSME के दायरे में तो आती है लकिन धारा 43B(h) के प्रावधान आपके ऊपर लागु नहीं होते है ।
MSME की परिभाषा
MSME के दायरे में तीन प्रकार की फर्म आती है। पहली माइक्रो इंटरप्राइजेज और दूसरी स्माल इंटरप्राइजेज और तीसरी मीडियम इंटरप्राइजेज। इनकम टैक्स की धारा 43B में केवल माइक्रो और स्माल इंटरप्राइजेज को शामिल किया गया है। इसमें अभी मीडियम इंटरप्राइजेज को शामिल नहीं किया है। अब ये जानना भी बहुत जरुरी है की कौन माइक्रो है कौन स्माल है और कौन मीडियम है। इसकी परिभाषा MSME Act में दी गयी है जो इस प्रकार है।
माइक्रो इंटरप्राइजेज वो होती है जिनका साल का टर्नओवर 5 करोड़ से कम और प्लांट मशीनरी में इन्वेस्टमेंट 1 करोड़ से कम होता है।
स्माल इंटरप्राइजेज वो होती है जिनका साल का टर्नओवर 50 करोड़ से कम और प्लांट मशीनरी में इन्वेस्टमेंट 10 करोड़ से कम होता है।
मीडियम इंटरप्राइजेज वो होती है जिनका साल का टर्नओवर 250 करोड़ से कम और प्लांट मशीनरी में इन्वेस्टमेंट 50 करोड़ से कम होता है।
सवाल और समस्याएं: आपके MSME भुगतानों की स्पष्टीकरण
हमने इस संदर्भ में सभी तथ्यों को सामिल करने का प्रयास किया है फिर भी यदि आपको कोई समस्या हो या आपके कोई सवाल हो तो आप हमसे कमेंट कर के या व्हाट्सप्प पर भी पुछ सकते है । आप अपने CA से भी जरूर संपर्क कर ले क्योंकि ये नियम Financial Year 2023-2024 में लागु हो चूका है।